परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक- 25 अक्टूबर, 20XX
सेवा में,
अनुभाग अधिकारी,
विशिष्ट पहचान प्राधिकरण,
दिल्ली।
विषय- आधार पहचान-पत्र न मिलने के संदर्भ में।
मान्यवर,
मैं पुरानी दिल्ली क्षेत्र का निवासी हूँ। मैं तीन महीने पूर्व ही संबंधित कार्यालय में आधार
पहचान-पत्र से जुड़ी सारी औपचारिकताएँ पूर्ण कर चुका हूँ, परन्तु अभी तक मुझे मेरा आधार
कार्ड प्राप्त नहीं हुआ है।
इस संबंध में कई बार संबंधित कार्यालय के अधिकारियों से बात कर चुका हूँ, परंतु उनके द्वारा
बार-बार आश्वासन दिए जाने के बाद भी मेरी समस्या का हल नहीं हो पाया है।
आधार पहचान-पत्र समय पर न मिलने के कारण मुझे और मेरे परिवार को जन-कल्याण
संबंधी कई सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होना पड़ रहा है।
मुझे आधार पहचान-पत्र की अत्यंत आवश्यकता है। अतः आपसे निवेदन है कि स्थिति की
गंभीरता को समझते हुए मुझे मेरा आधार पहचान-पत्र शीघ्रता से दिलवाने का कष्ट करें।
सधन्यवाद!
भवदीय
क.ख.ग
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक- 28, दिसंबर, 20XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
राजकीय कन्या विद्यालय
रूप नगर, दिल्ली।
विषय- पुस्तकालय में हिंदी की पत्र-पत्रिकाएँ मँगवाने हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं 'अ' कक्षा की छात्रा हूँ। मैं
आपका ध्यान हमारे विद्यालय के पुस्तकालय की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ।
विद्यालय का पुस्तकालय विभिन्न प्रकार की पुस्तकों से भरा हुआ है, परंतु उसमें हिंदी
पत्र-पत्रिकाओं का अभाव है। हिंदी साहित्य की केवल कुछ ही पुस्तकें उपलब्ध हैं
जोकि विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार पर्याप्त नहीं है। इससे विद्यार्थियों को असुविधा होती है।
अतः आपसे निवेदन है कि विद्यार्थियों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए पुस्तकालय
में हिंदी पत्र-पत्रिकाओं व उच्चकोटि का साहित्य मँगवाने की कृपा करें। ताकि विद्यार्थियों
को अपना कार्य करने और हिंदी साहित्य को पढ़ने व समझने का अवसर प्रदान हो सके।
धन्यवाद!
भवदीया
क. ख. ग.
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक- 29 नवंबर 20XX
सेवा में,
नगर निगम अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम,
दिल्ली- 110001
विषय- इलाके के पार्क से अनधिकृत खोमचे वालों को हटाने हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने इलाके के पार्क में अनधिकृत खोमचे वालों की
ओर आकर्षित करना चाहते हूँ। मैं आदर्श नगर का निवासी हूँ, पिछले दिनों से हमारे क्षेत्र
के पार्क में अनेक खोमचे वालों ने कब्जा कर लिया है। ये खोमचे वाले पार्क में बैठकर
खाने-पीने का सामान बेचते है। इनके द्वारा बेची जाने वाली खाद्य सामग्री अत्यंत निम्न
स्तर की होती है। इन्हें बनाने में घटिया तेल व निम्न गुणवत्ता वाली चीजों का इस्तेमाल
किया जाता है। ये स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यंत हानिकारक है। साथ ही, इन खोमचों के
कारण पार्क में घूमने-फिरने की जगह भी नहीं रह गई, जिससे यहाँ के निवासियों को अत्यंत
कठिनाई हो रही है।
अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारे क्षेत्र के पार्कों से इन खोमचे वालों को हटवाने की कृपा करें।
धन्यवाद!
भवदीया
क.ख.ग.
454, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 13 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र अवधेश,
नमस्कार।
आशा हैं, आप स्वस्थ एवं प्रसन्न होंगे। काफी समय बीत गया, आपका कोई पत्र नहीं आया। ऐसा लगता हैं जैसे फ्रांस में नौकरी मिलने के बाद से आप काफी व्यस्त हो गए हैं।
आप मेरा यह पत्र मिलते ही जवाब दें, एवं मुझे यह भी बताएँ कि देश से दूर रहकर चिकित्सा कार्य करने का आपका अनुभव कैसा रहा।
हो सकता हैं कि कार्य में अत्यधिक व्यस्त रहने के कारण आपको पत्र लिखने का समय न मिल पाता हो, परन्तु अपने इस मित्र के लिए कुछ समय तो निकाल ही लिया करें। इससे मुझे ख़ुशी मिलेगी।
आपकी भारत आने की योजना कब हैं, यह भी पत्र में लिखना। भाभी को मेरी तरफ से प्रणाम कहना, भांजी सृजना को प्यार देना।
आपके पत्र की प्रतीक्षा में
आपका मित्र,
राज कौशल
कौशिक एन्क्लेव,
दिल्ली।
दिनांक 15 मार्च, 20XX
प्रिय अनुज मुकेश,
शुभाशीर्वाद।
पिछले दिनों तुम्हारा पत्र मिला। पत्र में तुमने मुझसे 20 मार्च को दिल्ली आने की गुजारिश की हैं। मुझे याद हैं कि 20 मार्च को तुम्हारा जन्म-दिन हैं और इसलिए तुमने मुझे घर आने के लिए लिखा हैं। जन्म-दिवस के उपलक्ष्य में मैं तुम्हें हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं प्रभु से यही कामना करता हूँ कि तुम्हारा भावी जीवन सुखद एवं मंगलमय हो। ईश्वर तुम्हारी सम्पूर्ण इच्छाओं को पूर्ण करे।
इस शुभ अवसर के उपलक्ष्य में मैं तुम्हारे लिए चुनी हुई कुछ पुस्तकों का उपहार रजिस्टर्ड डाक से भेज रहा हूँ। मुझे विश्वास हैं कि तुम पुस्तकों में निहित ज्ञान को ग्रहण करके प्रगति के पथ पर आगे बढ़ोगे। अपनी व्यस्तताओं के चलते मैं इस बार तुम्हारे जन्म-दिन के उपलक्ष्य में वहाँ पर उपस्थित नहीं हो सकता, आशा हैं इसे अन्यथा नहीं लोगे। मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ हैं।
घर में सभी को यथायोग्य प्रणाम।
तुम्हारा भाई,
नरेन्द्र
224, वसंत कुंज,
नई दिल्ली।
प्रिय गौरव,
मधुर स्मृतियाँ।
मैं यहाँ कुशल हूँ और ईश्वर से तुम्हारी कुशलता की कामना करता हूँ। दो दिन पहले ही तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। यह जानकर अत्यंत प्रसन्न्ता हुई कि तुमने अंतविद्यालयी चित्रकला प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। मेरे परिवार व मेरी ओर से तुम्हें हार्दिक बधाई। तुम बचपन से ही चित्रकला में रुचि लेते आए हो और अपनी कक्षा में भी सबसे सुंदर चित्र बनाते हो। सभी अध्यापक व अध्यापिकाएँ भी तुम्हारी प्रशंसा करते हैं। तुम्हारी मेहनत व लगन का परिणाम आज तुम्हारे सामने है। भविष्य में भी तुम इसी प्रकार सफलता प्राप्त करते रहो, मेरी यही कामना है।
अपने माता-पिता को मेरा प्रणाम कहना और आरुषी को स्नेह देना। पत्र का उत्तर शीघ्र देना।
तुम्हारा मित्र,
अनुराग
40/3, नेहरू विहार,
झाँसी।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
प्रिय मित्र शेखर,
जय हिन्द !
15 मार्च, 20XX के समाचार-पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं।
प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का नाम अवश्य रोशन करोगे। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया हैं।
मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो।
मुझे पूरी आशा हैं कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।
शुभकानाओं सहित।
तुम्हारा अभिन्न हृदय,
मोहन राकेश
15, राजनगर,
गाजियाबाद।
दिनांक 16 अप्रैल, 20XX
प्रिय मित्र सिद्धार्थ,
सप्रेम नमस्ते !
20 अप्रैल को तुम्हारा 17वाँ जन्म दिवस हैं। तुम्हारे जन्म-दिन के इस मौके पर मैं अपनी हार्दिक शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। मैं परमपिता परमेश्वर से तुम्हारी दीर्घायु की कामना करता हूँ। तुम जीवन-पथ पर समस्त सफलताओं के साथ अग्रसर रहो और यह दिन तुम्हारे जीवन में ढेरों खुशियाँ लाए।
इन्हीं कामनाओं के साथ,
तुम्हारा परम मित्र,
जीवन
19, बीसवाँ मील,
सोनीपत,
हरियाणा।
दिनांक 21 मार्च, 20XX
प्रिय भाई भूपेन्द्र
खुश रहो !
कल तुम्हारा पत्र मिला। मुझे यह पढ़कर अत्यन्त हर्ष हुआ कि तुम परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए हो। परिवार के सभी लोग चाहते हैं कि तुम परिश्रम से पढ़ो और अच्छे अंक प्राप्त करो।
बन्धु, मैं भली-भाँति जानता हूँ कि तुम कर्त्तव्यनिष्ठ हो। फिर भी मैं तुम्हारा ध्यान कुसंगति के कुप्रभाव की ओर आकृष्ट कर रहा हूँ। कुसंगति एक संक्रामक रोग की भाँति हैं। जब यह रोग किसी को लग जाता हैं, तो वह बड़ी कठिनाई से ही उससे मुक्त हो पाता हैं। एक बड़े विद्वान ने कुसंगति की उपमा विषम ज्वर से दी हैं। जिस प्रकार विषम ज्वर शीघ्र छूटता नहीं, उसी प्रकार कुसंगति का प्रभाव भी शीघ्र समाप्त नहीं हो पाता। बड़े-बड़े मनीषी तक कुसंगति में पड़ कर अपने जीवन को बर्बाद कर देते हैं। अतः इससे बचने का प्रयास करना चाहिए।
प्रिय अनुज, मुझे तुम पर पूरा भरोसा हैं। तुम सदैव कुसंगति से बचने का प्रयास करते रहोगे। सद् इच्छा के लिए तुम्हारी दृढ़ता और बुराइयों से बचने के लिए तुम्हारा साहस ही तुम्हें सफल बनाएगा।
पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में।
तुम्हारा बड़ा भाई,
नरेन्द्र
16, आदर्शनगर,
दिल्ली।
दिनांक 21 अगस्त, 20XX
प्रिय मित्र मणिशंकर,
नमस्कार!
मुझे यह जानकर अत्यन्त दुःख हुआ कि तुम आई.ए.एस. (मुख्य) परीक्षा में असफल हो गए। किन्तु जब मैंने तुम्हारे दोस्तों से सुना कि तुम इस असफलता के कारण अत्यन्त शोक मग्न हो, तुमने खाना-पीना तक छोड़ दिया हैं, तब मन को और अधिक ठेस पहुँची।
मित्र, इस तरह असफल हो जाने से खाना-पीना छोड़ देना कहाँ की बुद्धिमत्ता हैं। अन्न-जल ग्रहण न करने से तुम्हारा स्वास्थ्य ही बिगड़ेगा। दोस्त, इस तरह हार मानना अच्छी बात नहीं हैं। मनुष्य तो वह हैं, जो असफल होने पर भी साहस नहीं छोड़ता, बल्कि सफल होने के लिए दोगुना परिश्रम करता हैं।
मित्र, यह जीवन एक कर्मक्षेत्र हैं, जहाँ पग-पग पर मनुष्य के धैर्य और साहस की परीक्षा होती रहती हैं। असफलताएँ वास्तव में, हमारी परीक्षाएँ होती हैं। क्या तुम नहीं जानते सफलता की सीढ़ी कहीं न कहीं असफलता की नींव से होकर गुजरती हैं।
ऐसा नहीं हैं कि हर आदमी को पलक झपकते ही सफलता नसीब हो जाती हैं सफलता की गाथा कहीं न कहीं असफलता के बाद ही लिखी जाती हैं।
मेरे मित्र, यह समय शोक करने का नहीं, बल्कि और अधिक मेहनत करने का हैं। अभी भी तुम्हारे पास सिविल सेवा परीक्षा के दो प्रयास और शेष हैं। मुझे उम्मीद हैं कि तुम अगले वर्ष साक्षात्कार को पार करते हुए सर्वश्रेष्ठ दस सफल प्रतिभागियों में अपना नाम दर्ज करवाओगे।
भावी सफलताओं की शुभकामनाओं।
तुम्हारा हितैषी,
अमन